28 परन्त तुम से कोई जदि कैबे, जा तो मूरत हां चड़ाई गई बस्त आय, तो ओई बताबेवारे के काजें, और हिये के सोच के काजें न खाओ।
जदि तोरो भईया तोरे खैबे के काजें सोच में पड़त आय, तो फिन तें प्रेम के चलन में नईं चलत: जीके लाने मसीह मरो ऊहां तें अपने खैबे से नास न कर।
कायसे संसार और जो कछु ऊ में है पिरभु कौ आय।
परन्त सबरन हां ऐसो ज्ञान नईंयां; परन्त कितेक जनें अब लौ मूरत हां कछु समजबे के कारण मूरतन के सामूं बलि करी गई कछु बस्त जानके खात आंय, और उन कौ हिया कमजोर होकें असुद्ध होत आय।
परन्त हुंसयार रओ, ऐसो न होबे, कि तुमाई जा छूट कऊं कमजोर जन के लाने उपटा लगबे कौ कारण बने।