और जब तूत के पेड़ों की टुनई पै सें सेना के चलबे जैसी आहट तोए सुनाई दे, तब जौ जानकें युद्ध करबे हों कड़ियो कि यहोवा परमेसुर पलिश्तियों की सेना हों मारबे के लाने तोरे आंगू जा रओ आय।”
परन्त जौन कनानी गेजेर में बसे हते उनहों एप्रैमियों ने उतै सें नें काड़ो, ई लाने बे कनानी उनके मजारें आज के दिना लौ बसे आंय, और बंधुआ मज़दूर के जैसे काम करत आंय।