मै थमनै साच्ची कहूँ सूं के जो कोए इस पहाड़ नै कहवै, ‘तू उखड़ जा, अर समुन्दर म्ह जा पड़,’ अर अपणे मन म्ह शक ना करै, बल्के बिश्वास करै के जो कहूँ सूं वो हो जावैगा, तो उसकै खात्तर वोए होवैगा।
परमेसवर नै उन ताहीं हक दिया सै, के उनकी भविष्यवाणी के दिनां म्ह अकास तै मिह न्ही बरसै, अर उननै यो भी हक सै, के जिब-जिब वे चाहवैं जद-जद वे पाणी नै लहू म्ह बदल दे, अर धरती पै हरेक ढाळ की बिप्दा ल्यावै।
अर उसकी पुन्झड़ नै अकास के एक तिहाई हिस्से के तारे खिंचकै धरती पै गेर दिए, अर वो अजगर उस जनानी के स्याम्ही जो जच्चा थी, खड्या होया, के जिब वा बाळक जणै तो उसकै बाळक नै निगळ जावै।
पैहले सुर्गदूत नै तुरही फूक्की, अर लहू तै मिले होड़ ओळे अर आग पैदा होई, अर धरती पै गेरी गई, अर धरती का एक तिहाई हिस्सा जळग्या, अर दरख्तां का तीसरा हिस्सा जळग्या, अर सारी हरी घास भी जळगी।