3 पर ना सुर्ग म्ह, ना धरती पै, ना धरती कै तळै कोए उस किताब नै खोल्लण या उस ताहीं पढ़ण लायक कोए कोनी लिकड़या।
“भला कौण जाण सकै सै परमेसवर के मन नै? या कौण उसका सलाहकार होया सै?
के जो सुर्ग म्ह अर धरती पै धरती कै नीच्चै सै, वे सारी यीशु कै नाम की बड़ाई करै,
फेर मन्नै सुर्ग म्ह, धरती पै, अर धरती कै तळै, अर समुन्दर की सारी बणाई होड़ चिज्जां नै, अर सारा किमे, जो उन म्ह सै, उन ताहीं न्यू कहन्दे सुण्या, के “जो सिंहासन पै बेठ्या सै, उसका, अर मेम्ने का धन्यवाद हो, मेम्ना ए सामर्थ, धन, ज्ञान, ताकत, आदर, महिमा के लायक सै, अर उसका राज्य, युगानुयुग रहवै।”
अर मै फूट-फूटकै रोण लाग्या, क्यूँके उस किताब ताहीं खोल्लण, या उस ताहीं पढ़ण लायक कोए न्ही मिल्या।