प्रकाशित वाक्य 3:1 - हरियाणवी1 उसनै मेरे ताहीं यो भी कह्या के सरदीस नगर की कलीसिया के सुर्गदूत नै लिख, के “जिसकै धोरै परमेसवर की सात आत्मा अर सात तारे सै, वो न्यू कहवै सै,” के मै तेरे काम्मां नै जांणु सूं, के तू मेरा बिश्वास लायक बिश्वासी तो कुह्वावै सै, पर असल म्ह तन्नै मेरा कहणा मानना छोड़ दिया सै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
जिब थम परमेसवर के प्यार नै, याद करण कै खात्तर प्रीति भोज म्ह कठ्ठे होओ सों, तो वे भी थारे म्ह शामिल हो जावै सै, तब वे उस समुन्दर म्ह लुक्ही होए पत्थर की चट्टान की तरियां सै, जो थारे ताहीं डूबो सकै सै। वे उस पाळी की तरियां सै जो सिर्फ अपणा पेट भरै सै, अर वे बिना पाणी के बादल सै, जिन ताहीं हवा उड़ा ले जावै सै, वे पतझड़ के इसे दरखत सै, जिन म्ह कदे फळ कोनी लाग्दे, अर ये जड़ तै उखड़गे सै।