पिलातुस नै उसतै कह्या, “के तू राजा सै?” यीशु नै जवाब दिया, “तू कहवै सै के मै राजा सूं। मन्नै ज्यांतै जन्म लिया अर ज्यांतै दुनिया म्ह आया सूं, के सच की गवाही दियुँ। जो कोए सच का सै, वो मेरा वचन सुणै सै।”
अर बिश्वास के कर्ता अर सिध्द करण आळे यीशु की ओड़ लखान्दे रहवां, उस आनन्द कै खात्तर जो बिश्वास म्ह मिलण आळा था, शर्म की कुछ परवाह न्ही करकै क्रूस का दुख सहया, अर परमेसवर कै सिंहासन कै सोळी ओड़ महिमामय जगहां जा बेठ्या।
इस करकै मसीह नै दुख ठाया जिब उसनै देह रूप धारण करया, थारा भी रविया उस्से तरियां दुख उठाण का होणा चाहिए, जिसा उसका था, क्यूँके जै थमनै मसीह खात्तर दुख ठाण की सोच ली सै, तो थमनै पाप ना करण की भी सोच ली सै, ताके आग्गै तै कदे थम पाप ना करो।