9 बिना कुड़कुड़ाए एक-दुसरे की मेहमान-नवाजी करो।
अजनबी की भी सेवा पाणी करो, क्यूँके इसके जरिये कई माणसां नै अनजाणे म्ह सुर्गदूत्तां का आदर-मान करया सै।
पवित्र माणसां ताहीं जो किमे जरूरी हो, उस म्ह उनकी मदद करो, अर अजनबी माणसां की सदा सेवा-पाणी म्ह लाग्गे रहो।
सारे काम बिना कुड़कड़ाए अर बिना विवाद कै करया करो,
भलाई करणा अर उदारता दिखाणा ना भूलो, क्यूँके परमेसवर इसे बलिदानां तै राज्जी होवै सै।
पर मेहमान का आदर करण आळा, भलाई का चाह्ण आळा, अपणे-आप्पे म्ह रहण आळा, न्यायकारी, पवित्र अर अपणे मन नै काब्बू राक्खण आळा हो।
यो जरूरी सै के अगुवां नै बेकसूर, अर एक ए बिरबान्नी का धणी, संयमी, सुशील, सभ्य, मेहमान का आदर-सत्कार करणीया, अर सिखाण म्ह सही होणा चाहिए।
हे बिश्वासी भाईयो, एक-दुसरे पै कुड़कुड़ाओ ना, न्ही तो परमेसवर भी थमनै दण्ड देवैगा, क्यूँके लखाओ, न्याय करण आळा आण खात्तर घणा लोवै सै।
हरेक माणस जिसा मन म्ह सोच्चै उसाए दान करै, ना कुढ़-कुढ़ कै अर मन म्ह दाब तै, क्यूँके परमेसवर राज्जी होकै देण आळे तै प्यार करै सै।
पर मन्नै तेरी इच्छा बगैर कुछ भी न्ही करणा चाह्या। मै चाहूँ था के तू मेरी मदद मजबूरी म्ह न्ही पर खुद की इच्छा तै खुशी तै करै।
बिश्वासी भाई गयुस भी थारे ताहीं नमस्कार करै सै मै इब उसके घर म्ह रहण लागरया सूं, जित्त कलीसिया कठ्ठी हो सै। बिश्वासी भाई इरास्तुस जो नगर का भण्डारी सै, अर भाई क्वारतुस का भी थारे ताहीं नमस्कार।