धोक्खे म्ह ना रहों, जै थारे म्ह तै कोए यो सोच बेठ्ठै के वो दुनियावी बात्तां के मुताबिक अकलमंद सै, तो ठीक तो यो होगा के वो खुद नै बेकूफ बणाले ताके अकलमंद बण जावै।
अर उन माणसां म्ह बेकार रगड़े-झगड़े पैदा होवै सै, जिनकी अकल खराब हो जा सै, अर वे सच तै दूर हो गये सै, जो समझै सै, के परमेसवर की सेवा करणा कमाई का साधन सै।
दुसरयां का बुरा करण कै बदले उन्हे का बुरा होवैगा। उननै दिन-दोफारी म्ह भोग-विलास करणा आच्छा लाग्गै सै। ये थारे पै कलंक अर दोष सै, जिब वे थारे गेल्या प्रीति भोज म्ह शामिल होवै सै, तो अपणे छलावे का आनन्द ले सै।
जै कोए कहवै, “मै परमेसवर तै प्यार करुँ सूं,” पर अपणे बिश्वासी भाई तै बैर राक्खै तो वो झूठ्ठा सै; क्यूँके जो अपणे बिश्वासी भाई तै जिस ताहीं उसनै देख्या सै प्यार न्ही कर सकता, तो वो परमेसवर तै भी जिस ताहीं उसनै न्ही देख्या प्यार न्ही कर सकता।