तीतुस 3:3 - Bagheli Bible3 काहेकि हमहूँ पंचे बिसुआसी बनँइ से पहिले, नासमझ अउर परमातिमा के हुकुम न मानँइ बाले रहे हएन, अउर भ्रम माहीं परिके अनेकव प्रकार के बुरी इच्छा, अउर सुख-बिलास माहीं फँसे रहे हएन, अउर एक दुसरे से दुसमनी, अउर इरसा के जिन्दगी बिताबत रहे हएन, अउर एक दुसरे से नफरत कइके दुसमनी रक्खत रहे हएन। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
काहेकि हमहीं इआ बात के डेर हय, कि कहँव अइसा न होय, कि जब हम तोंहरे लघे अई, त जइसन तोंहईं पंचन काहीं हम पामँइ चाहित हएन, त उआमेर न पाई, अउर तुहूँ पंचे घलाय हमहीं जइसन पामँइ चहते हया, त उआमेर न पाबा। अउर हम इआ नहीं चाही, कि तोंहरे बीच माहीं, लड़ाई-झगड़ा होय, डाह होय, क्रोध होय, बिरोध होय, जलन होय, चुगली करब होय, घमन्ड होय, कउनव बात के बखेड़ा होय।