तीतुस 2:2 - Bagheli Bible2 जउने बुढ़ान मनई हुसिआर, अउर गम्भीर, अउर नीक-नागा पहिचानँय बाले होइ जाँय, अउर ऊँ बिसुआस रक्खँय माहीं, अउर प्रेम रक्खँय माहीं, अउर धीरज धरँय माहीं, मजबूत होइ जाँय। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
काहेकि परमातिमा के किरपा से जउन अधिकार हमहीं मिला हय, ओहिन के मुताबिक हम तोंहसे पंचन से अरथात हरेक जन से कहित हएन, कि जइसन अपने-आप काहीं समझँइ चाही, ओसे बढ़िके अपने-आप काहीं न समझा। जइसन परमातिमा तोंहरे पंचन के छमता के मुताबिक, जेतना बिसुआस दिहिन हीं, ओहिन के मुताबिक अपने-आप काहीं सही तरीके से समझा।
एसे हे भाई-बहिनिव, जउन-जउन बातँय सत्य हईं, अउर जउन-जउन बातँय आदर के काबिल हईं, अउर जउन-जउन बातँय उचित हईं, अउर जउन-जउन बातँय पबित्र हईं, अउर जउन-जउन बातँय निकही हईं, अउर जउन-जउन बातँय मन काहीं नीक लागँइ बाली हईं, मतलब इआ, कि जउन-जउन बातँय जीबन माहीं निकहे बिचार पइदा करती हईं, अउर जउन सराहनीय बातँय हईं, उनहिन के ऊपर आपन ध्यान रक्खा।