हम तोंहसे सही कहित हएन, कि जे कोऊ इआ पहार से कहय, कि ‘तूँ उखड़ि जा, अउर समुद्र माहीं जाइके बूड़ जा’, अउर अपने मन म संका न करय, बलकिन बिसुआस कइ लेय, कि हम जउन कहित हएन, उआ होइ जई, त ओखे खातिर उहय होई।
उनहीं अधिकार हय, कि अकास काहीं बन्द करँय, कि जउने उनखे भबिस्सबानी के दिनन माहीं, बदरी न बरसय, अउर उनहीं सगले पानी के ऊपर अधिकार हय, कि ओही खून बनामँइ, अउर जब-जब चाहँय तब-तब धरती के ऊपर हरेकमेर के बिपत्ती लइ आमँय।
अउर ओखर पूँछ अकास के तरइअन के एक तिहाई हिस्सा काहीं, खींचिके धरती माहीं गिराय दिहिस। उआ अजिगर उआ मेहेरिआ के आँगे जउन लड़कहाई रही हय ठाढ़ भ, कि जब उआ लड़िका पइदा करय, त ओखे लड़िका काहीं लील लेय।