काहेकि सुरिज के ऊतय निकहा कड़ा घाम होत हय, अउर चारन काहीं झुराय डारत हय, उनखर फूल पत्ती झर जाती हईं, अउर उनखर सुन्दरता खतम होइ जात ही। इहइमेर से धनी मनई घलाय, अपने भाग-दउड़ के साथ खतम होइ जात हय।
अउर पबित्र सास्त्र माहीं लिखा हय, कि “हरेक प्रानी चारा कि नाईं होत हय, अउर ओखर सगली सुन्दरता, चारा के फूल कि नाईं होत ही, अउर उआ चारा कि नाईं झुराय जात हय, अउर फूल कि नाईं झर जात हय।”
अउर ओखर पूँछ अकास के तरइअन के एक तिहाई हिस्सा काहीं, खींचिके धरती माहीं गिराय दिहिस। उआ अजिगर उआ मेहेरिआ के आँगे जउन लड़कहाई रही हय ठाढ़ भ, कि जब उआ लड़िका पइदा करय, त ओखे लड़िका काहीं लील लेय।
अउर अकास से मनइन के ऊपर, चालिस-चालिस किलो के बड़े-बड़े ओला गिरें, अउर एसे कि इआ बिपत्ती खुब भारी रही हय, अउर सगले मनई ओलन के बिपत्ती के कारन परमातिमा के बुराई किहिन।
अउर हमहीं एकठे पिअर घोड़ा देखान; अउर ओखे सबार के नाम मउत हय, अउर अधोलोक ओखे पीछे-पीछे हय, अउर उनहीं धरती के एक चउथाई भाग के ऊपर इआ अधिकार दीन ग, कि तलबार, अउर अकाल, अउर महामारी, अउर धरती के बन पसुअन के द्वारा मनइन काहीं मारि डारँय।
एखे बाद हम धरती के चरहूँ कोनमा माहीं, चारठे स्वरगदूतन काहीं ठाढ़ देखेन, ऊँ पंचे धरती के चरहूँ हबा काहीं रोंके रहे हँय, जउने धरती, इआ कि समुंद्र, इआ कि कउनव बिरबन के ऊपर हबा न चलय।
अउर उनसे कहा ग, कि न धरती के चारा काहीं, न कउनव हरियरी काहीं, न कउनव बिरबा काहीं नुकसान पहुँचामय, केबल उन मनइन काहीं नुकसान पहुँचामय, जिनखे लिलारे माहीं परमातिमा के मुहर नहीं लगी आय।