अउर परमातिमा के महिमा अउर सक्ती के कारन मन्दिर धुँआ से भरिगा, अउर जब तक ऊँ सतहूँ स्वरगदूतन के, सतहूँ बिपत्ती खतम नहीं होइ गईं, तब तक मन्दिर माहीं कोऊ नहीं जाय सका।
ओखे बाद एकठे अउर स्वरगदूत सोने के धूपदानी लए आएँ, अउर बेदी के लघे ठाढ़ भें; अउर उनहीं खुब काहीं धूप दीन ग, कि सगले पबित्र मनइन के प्राथनन के साथ सोने के उआ बेदी माहीं, जउन सिंहासन के आँगे हय चढ़ामँय।