पय जे कोऊ उआ पानी पी, जउन हम ओही देब, उआ पुनि अनन्तकाल तक पियासा न होई: बलकिन जउन पानी हम ओही देब, ओखे जीबन माहीं एकठे झिन्ना बन जई, अउर अनन्त जीबन देंइ के खातिर झिरिके बहतय रही।”
उआ मेहेरिआ उनसे कहिस, “हे प्रभू, अपना के लघे त पानी भरँइ के खातिर कुछू हइअव नहिं आय, अउर कुँआ गहिल ही: त फेर उआ जीबन देंइ बाला पानी अपना के लघे कहाँ से आबा?
अउर पुनि ऊँ हमसे कहिन, “ईं बातँय पूर होइ गई हँय। हम अल्फा अउर ओमेगा, आदि अउर अन्त आहेन। हम पिआसे काहीं, जीबन के पानी के झिन्ना म से सेंत-मेंत माहीं पिआउब।
“हे हमार पंचन के प्रभू, अउर परमातिमा, अपनय महिमा, अउर मान-सम्मान, अउर सामर्थ के काबिल हएन; काहेकि अपनय सगली चीजन काहीं बनाएन हय, अउर ऊँ अपनय के मरजी से बनाई गे रही हँय, अउर बनाई गई हँय।”
कि परमातिमा के उआ झुन्ड के रखबारी करा, जउन तोंहईं पंचन काहीं सउँपा ग हय, अउर इआ काम कउनव दबाव से नहीं, बलकिन परमातिमा के मरजी के मुताबिक, बड़े खुसी के साथ पूरे मन से किहा। अउर इआ काम नीच कमाई के खातिर न किहा।
एसे अपना पंचे आपन अउर अपने पूरे झुन्ड के रखबारी करी; जउने खातिर पबित्र आत्मा अपना पंचन काहीं अँगुआ ठहराइन हीं; कि अपना पंचे परमातिमा के मसीही मन्डली के रखबारी करी, जेही ऊँ अपने खून से मोल लिहिन हीं।
यीसु ओही जबाब दिहिन, “अगर तूँ परमातिमा के बरदान काहीं जन त्या, अउर इहव जन त्या कि ऊँ को आहीं, जउन तोंहसे कहत हें, कि हमहीं पानी पिआबा; त तूँ उनसे मग त्या, अउर ऊँ तोंहईं जीबन देंइ बाला पानी देतें।”
ईं ऊँ पंचे आहीं, जउन मेहेरिअन के साथ असुद्ध नहीं भे रहे आहीं, बलकिन कुमार हें; ईं उँइन पंचे आहीं, जउन जहाँ कहँव मेम्ना जात रहे हँय, ईं पंचे उनखे पीछे-पीछे चल देत रहे हँय, ईं पंचे त परमातिमा अउर मेम्ना के खातिर, पहिल फल होंइ के खातिर, मनइन म से मोल लीन गे हँय।