अउर अगर कउनव मनई पबित्र आत्मा के अँगुआई से अनजान भाँसा माहीं धन्यबाद, इआ कि प्राथना करी, त जे कोऊ उआ भाँसा काहीं नहीं समझँय, त ओखे साथ कइसन आमीन करिहँय? काहेकि जउन धन्यबाद, इआ कि प्राथना उआ किहिस ही, ऊँ पंचे ओही नहीं समझँय।
अउर सब कुछ तोंहरे पंचन के भलाइन के खातिर आय। जइसन-जइसन परमातिमा के किरपा जादा मनइन के ऊपर होत जात ही, त परमातिमा काहीं धन्यबाद देंइ बाले घलाय बढ़त जात हें। इआमेर से परमातिमा के महिमा बढ़त जात ही।