6 अउर हम उन चारिव प्रानिन के बीच म से एकठे बोल इआ कहत सुनेन, कि “एक दिनार के सेर भर गोहूँ, अउर एक दिनार के तीन सेर जबा, पय जयतून के तेल अउर अंगूर के रस के नुकसान न किहा।”
काहेकि एक जाति के मनई, दुसरे जाति के मनइन के ऊपर चढ़ाई करिहँय, अउर एक देस, दुसरे देस के ऊपर चढ़ाई करी, अउर हरेक जघन माहीं अकाल परिहँय, अउर भुँइडोल होइहँय।
अउर उनसे कहा ग, कि न धरती के चारा काहीं, न कउनव हरियरी काहीं, न कउनव बिरबा काहीं नुकसान पहुँचामय, केबल उन मनइन काहीं नुकसान पहुँचामय, जिनखे लिलारे माहीं परमातिमा के मुहर नहीं लगी आय।