अउर हे भाई-बहिनिव, जइसन छोट बुदे लड़िकन के सोच-बिचार रहत हय, उआमेर तोंहार पंचन के सोच-बिचार न होंइ चाही; बुराई के खातिर छोट लड़िकन कि नाईं अनजान बना, पय तोंहार सोच-बिचार सयानन कि नाईं होय।
अउर जब मेम्ना तीसर मुहर खोलिन, त हम तिसरे प्रानी काहीं इआ कहत सुनेन, कि “आबा!” अउर हमहीं एकठे करिआ घोड़ा देखान, अउर ओखे सबार के हाँथे माहीं एकठे तउलना रहा हय;