पय हम अब जउन कुछू हएन, त परमातिमा के किरपा से हएन, अउर उनखर जउन किरपा हमरे ऊपर भे ही, उआ बेकार नहीं गय; काहेकि हम ऊँ सगले खास चेलन से जादा मेहनत किहेन हय, अउर सचमुच उआ मेहनत हम खुद न होय किहेन हय, पय हमरे ऊपर किरपा कइके ओही परमातिमा किहिन हीं।
“हे प्रभू, अइसा कउन हय, जउन अपना से न डेरई, अउर अपना के नाम के बड़ाई न करी? काहेकि केबल अपनय पबित्र हएन। अउर सगले जातिअन के मनई आइके अपना के आँगे गोड़न गिरि हँय, काहेकि अपना के न्याय के काम प्रगट होइगे हँय।”
अउर जब ऊँ किताब लइ लिहिन, त ऊँ चारिव जिन्दा प्रानी, अउर चउबीसव अँगुआ, उआ मेम्ना के आँगे गिर परें; अउर हरेक के हाँथ माहीं बीना अउर महकँइ बाली चीजन से भरे, सोने के खोरबा रहे हँय, ईं त पबित्र लोगन के प्राथना आहीं।