6 जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय।”
जेखर सुनँय के मन होय, उआ बड़े ध्यान से सुन लेय।
जेखर सुनँय के मन होय, उआ बड़े ध्यान से सुन लेय।”
(“जेखर सुनँय के मन होय, उआ बड़े ध्यान से सुन लेय।”)
कुछ बीज निकही भुँइ माहीं गिरें, अउर जामिके, सव गुना फर लइ आएँ।” एतना कहिके यीसु खुब चंडे कहिन, “जेखर सुनँय के मन होय, उआ बड़े ध्यान से सुन लेय।”
जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय, जउन बिजय पाई, ओही दूसर मउत से हानि न पहुँची।”
जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय, जउन बिजय पाई, ओही हम उआ जीबन के बिरबा म से, जउन परमातिमा के स्वरगराज माहीं हय, फर खाँइ काहीं देब।”
जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय।”