“प्रभू के आत्मा हमरे भीतर हय, एसे कि परमातिमा कंगालन काहीं खुसी के खबर सुनामँइ के खातिर हमार अभिसेक किहिन हीं, अउर हमहीं एसे पठइन हीं, कि बंदिन काहीं छोड़ामँइ के अउर अँधरन काहीं आँखी पामँइ के खुसी के खबर के प्रचार करी, अउर दबे-कुचले लोगन काहीं बन्धन से छोंड़ाई।
अउर हरेक यहूदी सभाघरन माहीं, हम उनहीं सजा देबाय-देबाइके यीसु के बुराई कराबत रहे हएन, अउर क्रोध के मारे इहाँ तक पागल होइ गएन तय, कि दुसरे प्रदेस के सहरन माहीं घलाय जाइके, उनहीं परेसान करत रहे हएन।
अउर हमहीं पंचन काहीं मसीह के प्रेम से कोऊ अलग नहीं कइ सकय, चाह उआ दुख-मुसीबत होय, चाह हमरे ऊपर अत्याचार होय, चाह अकाल होय, चाह पहिनँय के खातिर ओन्हव न होय, चाह उआ जोखिम होय, अउर चाह उआ तलबारय काहे न होय?
अउर हमहीं पंचन काहीं सोक करँइ बालेन कि नाईं माना जात हय, पय हम पंचे हमेसा आनन्दित रहित हएन, अउर हम पंचे कंगालन कि नाईं देखइत हएन, पय खुब मनइन काहीं आत्मिक रूप से धनी बनाय देइत हएन। अउर मनई समझत हें, कि हमरे पंचन के लघे कुछू नहिं आय, तऊ हमरे पंचन के लघे सब कुछ रहत हय।
हम इआ बात काहीं एसे बताइत हएन, कि जब उनखे जीबन माहीं दुख-मुसीबत के कारन बड़ी परिच्छा आईं तय। तऊ ऊँ पंचे खुसी रहे हँय, अउर उनखे ऊपर भारी गरीबी आय गे रही हय। तऊ उनखर दान देंइ के उदारता कम नहीं भय, बलकिन बढ़िनगे रही हय।
अउर तूँ पंचे हमरे पंचन के प्रभू यीसु मसीह के किरपा काहीं जनतेन हया, कि ऊँ केतना धनी रहे हँय, तऊ ऊँ तोंहरे पंचन के खातिर एसे कंगाल बनिगें, कि जउने तूँ पंचे उनखे कंगाल होंइ से धनी बन जा।
हम त पहिले यीसु मसीह के अपमान करँइ बाले रहेन हय, अउर बिसुआसी लोगन काहीं सतामँइ बाले, अउर उनखे ऊपर अत्याचार करँइ बाले रहेन हय; तऊ प्रभू हमरे ऊपर दया किहिन, काहेकि जब हम प्रभू के ऊपर बिसुआस नहीं करत रहेन, उआ दसा माहीं बिना समझे बूझे ईं काम किहेन रहा हय।
हम यूहन्ना, जउन तोंहार पंचन के भाई, अउर यीसु के कस्ट, अउर राज, अउर धीरज माहीं, तोंहार पंचन के सहभागी आहेन, परमातिमा के बचन, अउर यीसु के गबाही के कारन, पतमुस नाम के टापू माहीं रहेन हय।
हम इआ त जानित हएन, कि तूँ उहाँ रहते हया, जहाँ सइतान के सिंहासन हय; अउर तूँ हमरे नाम माहीं बने रहते हया; अउर हमरे ऊपर बिसुआस करँइ से, उन दिनन माहीं पीछे नहीं हट्या, जउने माहीं हमार बिसुआस के काबिल गबाह अन्तिपास, तोंहरे पंचन के बीच माहीं, उआ जघा माहीं मार डारा ग, जहाँ सइतान रहत हय।
पय तूँ पंचे थुआतीरा के बाँकी मनइन से, जेतने इआ सिच्छा काहीं नहीं मानँय, अउर ऊँ बातन काहीं जिनहीं सइतान के गहिल बातँय कहत हें, नहीं जनते आह्या, इआ कहित हएन, कि हम तोंहरे पंचन के ऊपर अउर बोझ न डारब।