अउर इआ जानिल्या, कि प्रभू अपने वादा काहीं पूर करँइ के बारे माहीं, कबहूँ देरी नहीं करँय, जइसन देरी कुछ मनई समझत हें। पय परमातिमा तोंहरे बारे माहीं धीरज धरत हें, अउर ऊँ नहीं चाहँय, कि कउनव मनई नास होंय; बलकिन ऊँ इआ चाहत हें, कि सगले मनइन काहीं अपने पापन से पस्चाताप कइके, प्रभू के लघे आमँइ के मोका मिलय।