अउर ऊँ अपने दहिने हाँथ माहीं सातठे तरइया लए रहे हँय, अउर उनखे मुँहे से दुइ धार बाली चोंख तलबार निकरत रही हय; अउर उनखर मुँह अइसन चमकत रहा हय, जइसन सुरिज तेज घाम के समय चमकत हय।
अउर जाति-जाति काहीं मारँइ के खातिर उनखे मुँहे से एकठे चोंख तलबार निकरत ही, ऊँ लोहे के राजदन्ड लए, उनखे ऊपर राज करिहँय, अउर ऊँ सर्बसक्तिमान परमातिमा के, भयानक कोप के जलजलाहट के मदिरा के कुन्ड माहीं अंगूर रउँदिहँय।
तूँ हमसे पहिले केतना प्रेम करत रहे हया, अउर अब केतना प्रेम करते हया, ओही सुध कइके, पस्चाताप करा, अउर पहिले कि नाईं काम करा; अउर अगर तूँ पस्चाताप न करिहा, त हम तोंहरे लघे आइके, तोंहरे दीबट काहीं उआ जघा से हटाय देब।