अउर जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय; जे बिजय पाई, ओही हम, न देखाँइ बाले मन्ना म से देब; अउर ओही एकठे उजर पथरा घलाय देब; अउर उआ पथरा माहीं एकठे नाम घलाय लिखा होई, जेही ओही पामँइ बाले के अलाबा, अउर कोऊ न जानी।”
जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय, जउन बिजय पाई, ओही हम उआ जीबन के बिरबा म से, जउन परमातिमा के स्वरगराज माहीं हय, फर खाँइ काहीं देब।”
धन्य अउर पबित्र ऊँ हें, जउन इआ पहिल मरिके जि उठब माहीं सामिल भे हँय। अइसन मनइन के ऊपर दूसर मउत के कउनव अधिकार नहिं आय, बलकिन ऊँ पंचे परमातिमा अउर मसीह के याजक होइहँय, अउर हजार बरिस तक उनखे साथ राज करिहँय।
जे बिजय पाई, ओही हम परमातिमा के मन्दिर माहीं एकठे खम्भा बनाउब; अउर उआ पुनि कबहूँ बहिरे न निकरी; अउर हम अपने परमातिमा के नाम, अउर अपने परमातिमा के सहर, अरथात नबा यरूसलेम सहर के नाम, जउन हमरे परमातिमा के लघे से, अरथात स्वरग से उतरँय बाला हय, अउर आपन नबा नाम ओखे ऊपर लिखब।
जे बिजय पाई, ओही इहइमेर उजर ओन्हा पहिराबा जई, अउर हम ओखर नाम जीबन के किताब म से कउनव मेर से न काटब, पय ओखर नाम अपने पिता, अउर उनखे स्वरगदूतन के आँगे मान लेब।