अउर जउने बातन काहीं, हम तोंहईं पंचन काहीं मानँइ के हुकुम दिहेन हय, उँइन बातन काहीं मानँइ के खातिर उनहूँ पंचन काहीं सिखाबा: अउर इआ बात काहीं सुध रख्या, कि संसार के अन्त तक हमेसा हम तोंहरे पंचन के साथ माहीं रहब।”
अउर अगर कउनव मनई पबित्र आत्मा के अँगुआई से अनजान भाँसा माहीं धन्यबाद, इआ कि प्राथना करी, त जे कोऊ उआ भाँसा काहीं नहीं समझँय, त ओखे साथ कइसन आमीन करिहँय? काहेकि जउन धन्यबाद, इआ कि प्राथना उआ किहिस ही, ऊँ पंचे ओही नहीं समझँय।
ओखे बाद हम बड़ी भीड़ कि नाईं, अउर खुब पानी कि नाईं, अउर गरजँय कि नाईं, बड़ी तेज अबाज सुनेन; “हालेलूय्याह! काहेकि प्रभू हमार पंचन के परमातिमा सर्बसक्तिमान राज करत हें।