12 अउर जउन दसठे सींग तूँ देखे हया, ऊँ दसठे राजा आहीं, जउन अबे तक राज नहीं पाइन, पय उआ खतरनाक जानबर के साथ, एक घन्टा के खातिर राजन कि नाईं अधिकार पइहँय।
तब हम एकठे खतरनाक जानबर काहीं समुंद्र से निकरत देखेन, ओखे दसठे सींग अउर सातठे मूँड़ रहे हँय; ओखे सींगन माहीं दसठे राजमुकुट अउर ओखे मूँड़ेन के ऊपर परमातिमा के निन्दा के नाम लिखे रहे हँय।
अउर अपने-अपने मूँड़ेन के ऊपर धूधुर डरिहँय, अउर रोबत अउर कलपत, चिल्लाय-चिल्लाइके कइहँय, ‘हाय! हाय! इआ बड़ा सहर, जेखे धन-सम्पत्ती के द्वारा समुंद्र के सगले जिहाज बाले धनी होइगे रहे हँय, घरी भर माहीं उजरिगा।’