1 अउर जउने सातठे स्वरगदूतन के लघे ऊँ सातठे खोरबा रहे हँय, उनमा से एक जने आइके हमसे इआ कहिन, “इहाँ आबा, हम तोंहईं उआ बड़ी बेस्या के सजा देखाई, जउन खुब पानी माहीं बइठ ही,
तब ऊँ पंचे आपस माहीं कहिन, “जब ऊँ गइल माहीं हमसे बात करत रहे हँय, अउर पबित्र सास्त्र के मतलब समझाबत रहे हँय, तब का हमरे हिरदँय माहीं उत्तेजना नहीं पइदा भय तय?”
एसे उआ बड़े सहर के तीन भाग होइगें, अउर हरेक जातिअन के सहर गिर परें; अउर बड़े बेबीलोन के स्मरन परमातिमा के इहाँ भ, कि ऊँ अपने क्रोध के जलजलाहट के मदिरा ओही पिआमँइ।
काहेकि उनखर निरनय सच्चे अउर न्यायपूर्न हें। अउर ऊँ उआ बड़ी बेस्या काहीं, जउन अपने ब्यभिचार से धरती काहीं भ्रस्ट करत रही हय, सजा दिहिन हीं, अउर ओसे अपने दासन के खून के बदला लिहिन हीं।”
ओखे बाद जिन सातठे स्वरगदूतन के लघे, सातठे अन्तिम बिपत्तिन से भरे खोरबा रहे हँय, उनमा से एक जने हमरे लघे आएँ, अउर हमसे बातँय कइके कहँइ लागें, “एँकई आबा, हम तोंहईं दुलहिन, अरथात मेम्ना के मेहेरिआ देखाउब।”
ईं बातन के बाद, जब हम नजर उठाइके देखेन, त का देखित हएन, कि स्वरग माहीं एकठे दुअरा खुला हय; अउर जेही हम पहिले तुरही कि नाईं अबाज से, अपने साथ बातँय करत सुने रहेन हय, उँइन कहत हें, कि “इहाँ ऊपर आय जा, अउर हम ऊँ बातँय तोंहईं देखाउब, जिनखर ईं बातन के बाद पूर होब जरूरी हय।”