अउर हमहीं इहव बात के डेर हय, कि जब हम तोंहसे मिलँइ के खातिर अई। त तोंहरेन आँगे, हमार परमातिमा हमहीं लज्जित न करँइ; अउर हमहीं उनखे खातिर दुखी होंय परय, जउन पहिले पाप किहिन तय, अउर घिनहे-घिनहे काम किहिन तय, अउर ब्यभिचार किहिन तय, अउर भोग-बिलास के काम किहिन तय, पय उनखे खातिर पस्चाताप नहीं किहिन आय।
फेर उहय समय एकठे बड़ा भुँइडोल भ, अउर सहर के दसमा हिस्सा गिर परा; अउर उआ भुँइडोल से सात हजार मनई मरिगें, अउर बाँकी डेराइगें, अउर स्वरग के परमातिमा के बड़ाई किहिन।
अउर अकास से मनइन के ऊपर, चालिस-चालिस किलो के बड़े-बड़े ओला गिरें, अउर एसे कि इआ बिपत्ती खुब भारी रही हय, अउर सगले मनई ओलन के बिपत्ती के कारन परमातिमा के बुराई किहिन।
अउर बाँकी मनई जउन ऊँ महामारिन से नहीं मरे रहे आहीं, अपने हाँथन के कामन से मन नहीं फिराइन, ऊँ पंचे बुरी आत्मन के पूजा करत रहिगें, अउर सोन-चाँदी, अउर पीतल अउर पथरा, अउर लकड़ी, के मूरतिन के पूजा करब घलाय नहीं छोंड़िन, जउन न देख सकती आहीं, न सुन सकती आहीं, न चल सकती आहीं।