इआ कहँइ लागें, “हे सर्बसक्तिमान प्रभू परमातिमा, जउन हएन, अउर जउन रहे हएन, हम पंचे अपना के धन्यबाद करित हएन, कि अपना अपने बड़ी सामर्थ काहीं काम म लइआइके राज किहेन हय।
यूहन्ना के तरफ से आसिया प्रदेस के सातव मसीही मन्डली के नाम। अउर उनखे तरफ से जउन हें, अउर जउन रहे हँय, अउर जउन आमँइ बाले हें; अउर उन सातँव आत्मन के तरफ से, जउन उनखे सिंहासन के आँगे हईं,
पय तूँ अपने हठी अउर कबहूँ न पचिताँय बाले मन के कारन, परमातिमा के क्रोधपूर्न सजा काहीं अपने खातिर उआ दिन के खातिर एकट्ठा कइ रहे हया, जब परमातिमा सच्चा न्याय करिहँय।
एसे अगर हमार पंचन के अधारमिकता परमातिमा के धारमिकता सिद्ध करत ही, त हम पंचे का कही? का इआ कि परमातिमा जउन हमहीं पंचन काहीं सजा देत हें, त का ऊँ अन्याय करत हें? (इआ त हम एकठे साधारन मनई कि नाईं कहित हएन।)
काहेकि उनखर निरनय सच्चे अउर न्यायपूर्न हें। अउर ऊँ उआ बड़ी बेस्या काहीं, जउन अपने ब्यभिचार से धरती काहीं भ्रस्ट करत रही हय, सजा दिहिन हीं, अउर ओसे अपने दासन के खून के बदला लिहिन हीं।”