तब परमातिमा के जउन मन्दिर स्वरग माहीं हय, उआ खोला ग, अउर उनखे मन्दिर माहीं, उनखे करार के सन्दूख देखाई दिहिस, अउर बिजुली अउर बोल अउर गरजब अउर भुँइडोल भें, अउर बड़े-बड़े ओला गिरें।
पुनि एकठे अउर स्वरगदूत मन्दिर म से निकरिके, उनसे जउन बदरी माहीं बइठ रहे हँय, खुब चन्डे गोहराइके कहिन, “आपन हँसिया लगाइके कटाई करा, काहेकि कटाई करँइ के समय आइगा हय, एसे कि धरती के खेती पकि चुकी हय।”
ओखे बाद एकठे अउर स्वरगदूत, जिनहीं आगी के ऊपर अधिकार रहा हय, बेदी म से निकरें, अउर जिनखे लघे चोंख हँसिया रही हय, उनसे खुब चन्डे कहिन, “आपन चोंख हँसिया लगाइके, धरती के अंगूर के गुच्छन काहीं काटि ल्या, काहेकि उनखर अंगूर पकि चुके हँय।”