8 अउर परमातिमा के महिमा अउर सक्ती के कारन मन्दिर धुँआ से भरिगा, अउर जब तक ऊँ सतहूँ स्वरगदूतन के, सतहूँ बिपत्ती खतम नहीं होइ गईं, तब तक मन्दिर माहीं कोऊ नहीं जाय सका।
बाह! परमातिमा केतने अदभुत हें, उनखर ग्यान अउर बुद्धी अउर दया रूपी धन अपरम्पार हय! उनखे निरनय अउर उपायन काहीं समझ पाउब असम्भव हय।
ऊँ प्रभू के सामर्थ के तेज के आँगे से दूरी हटाइके, नास होंइ के खातिर नरक माहीं डार दीन जइहँय।
पुनि हम स्वरग माहीं एकठे अउर बड़ी, अउर अदभुत चिन्हारी देखेन, अरथात सातठे स्वरगदूत, जिनखे लघे सतहूँ आखिरी बिपत्ती रही हँय, काहेकि उनखे खतम होइ जाँय के बादय, परमातिमा के कोप पूर होइ जई।
परमातिमा के महिमा ओमाहीं रही हय, अउर ओखर जोति, यसब नाम के खुब कीमती निरमल रतन कि नाईं चमकत रही हय।