त उआ परमातिमा के क्रोध के निछला मदिरा, जउन उनखे क्रोध के खोरबा माहीं डारी गे ही, ओही पी, अउर पबित्र स्वरगदूतन के आँगे, अउर मेम्ना के आँगे, आगी अउर गन्धक के पीरा माहीं परी।
अउर जउने सातठे स्वरगदूतन के लघे ऊँ सातठे खोरबा रहे हँय, उनमा से एक जने आइके हमसे इआ कहिन, “इहाँ आबा, हम तोंहईं उआ बड़ी बेस्या के सजा देखाई, जउन खुब पानी माहीं बइठ ही,
ओखे बाद जिन सातठे स्वरगदूतन के लघे, सातठे अन्तिम बिपत्तिन से भरे खोरबा रहे हँय, उनमा से एक जने हमरे लघे आएँ, अउर हमसे बातँय कइके कहँइ लागें, “एँकई आबा, हम तोंहईं दुलहिन, अरथात मेम्ना के मेहेरिआ देखाउब।”
अउर जब ऊँ किताब लइ लिहिन, त ऊँ चारिव जिन्दा प्रानी, अउर चउबीसव अँगुआ, उआ मेम्ना के आँगे गिर परें; अउर हरेक के हाँथ माहीं बीना अउर महकँइ बाली चीजन से भरे, सोने के खोरबा रहे हँय, ईं त पबित्र लोगन के प्राथना आहीं।