अउर जेखर सुनँय के मन होय, उआ सुन लेय, कि पबित्र आत्मा मसीही मन्डलिन से का कहत हय; जे बिजय पाई, ओही हम, न देखाँइ बाले मन्ना म से देब; अउर ओही एकठे उजर पथरा घलाय देब; अउर उआ पथरा माहीं एकठे नाम घलाय लिखा होई, जेही ओही पामँइ बाले के अलाबा, अउर कोऊ न जानी।”