अउर कउनव मेर से कोहू के झाँसे माहीं न अया, काहेकि जब तक धरम के त्याग न होइ जई, तब तक उआ दिन न अई, अउर अधरम के पुरुस मतलब बिनास के लड़िका प्रगट न होइ जई।
उआ अपने काहीं हरेक चीजन से बढ़िके मानी, अउर उनखर बिरोध करी, अउर अइसन चीजन के जउन परमातिमा के आहीं, इआ कि जउन पूजँय के काबिल हईं। इहाँ तक कि उआ परमातिमा के मन्दिर माहीं बइठिके, इआ दाबा करी, कि हम परमातिमा आहेन।
पय उआ मेहेरिआ काहीं, बड़े चील्ह के दुइठे पखना दीनगें, कि उआ साँप के आँगे से उड़िके जंगल माहीं, उआ जघा माहीं पहुँच जाय, जहाँ साढ़े तीन बरिस तक पाली पोसी जाय।
अउर उआ मेहेरिआ उआ जंगल माहीं भागिगे, जहाँ परमातिमा के तरफ से, ओखे खातिर एकठे जघा तइआर कीन गे रही हय, कि उहाँ उआ एक हजार दुइ सव साठ दिना तक पाली पोसी जाय।
अउर उआ खतरनाक जानबर काहीं इआ अधिकार दीन ग, कि पबित्र मनइन से लड़य, अउर उनसे जीत जाय, अउर ओही हरेक कुल, अउर लोग, अउर भाँसा, अउर जाति के ऊपर अधिकार दीन ग।