अउर मूरतिन के साथ परमातिमा के मन्दिर के कउनव सम्बन्ध होइ सकत हय का? काहेकि हम पंचे त जिन्दा परमातिमा के मन्दिर आहेन; जइसन कि परमातिमा घलाय कहिन हीं, कि “हम उन माहीं निबास करब; अउर उनखे बीच माहीं चला फिरा करब; अउर हम उनखर परमातिमा होब, अउर ऊँ पंचे हमार निज प्रजा होइहँय।”
अउर तुहूँ पंचे खुदय जिअत पथरा कि नाईं, आत्मिक घर बनाए जाय रहे हया, जउने याजकन के पबित्र समाज बनिके, अइसन आत्मिक बलिदान चढ़ाबा, जउन यीसु मसीह के द्वारा परमातिमा काहीं सोइकार होय।
पय तूँ पंचे परमातिमा के चुने बंस आह्या, अउर राज पदधारी याजकन के समाज आह्या, अउर पबित्र मनई, अउर परमातिमा के खास प्रजा आह्या, अउर उँइन तोहईं पंचन काहीं, अँधिआर से निकारिके, अपने अदभुत जोति माहीं बोलाइन हीं, कि उनखे महिमा काहीं अपने जीबन से देखाबा।