एसे हम उआ छोट किताब काहीं, ऊँ स्वरगदूत के हाँथे से लइके खाय लिहेन, उआ हमरे मुँहे माहीं महिपर कि नाईं मीठ त लाग, पय जब हम ओही खाय लिहेन, त हमार पेट करू होइगा।
ओखे बाद हमहीं नापँय के खातिर एकठे सरकन्डा दीन ग, अउर कोऊ कहिस, “उठा, परमातिमा के मन्दिर, अउर बेदी काहीं नाप ल्या, अउर ओमाहीं अराधना करँइ बालेन के गिनती करा।
पुनि हम एकठे अउर स्वरगदूत काहीं, अकास के बीच माहीं उड़त देखेन, जिनखे लघे धरती के ऊपर रहँइ बालेन के हरेक जाति, अउर कुल, अउर भाँसा, अउर लोगन काहीं सुनामँइ के खातिर सनातन खुसी के खबर रही हय।
ऊँ सातठे राजा घलाय आहीं, उनमा से पाँच जनेन के बिनास होइ चुका हय, अउर एकठे अबे हय, अउर एकठे अबे तक आबा नहीं, अउर जब अई त कुछ समय तक ओखर रहब घलाय जरूरी हय।
अउर ऊँ पंचे इआ नबा गाना गामँइ लागें, कि “अपनय इआ किताब काहीं लेंइ, अउर एखर मुहरँय खोलँय के काबिल हएन; काहेकि अपना बध होइके अपने खून से हरेक कुल, अउर भाँसा, अउर लोग, अउर जाति म से परमातिमा के खातिर लोगन काहीं मोल लिहेन हँय।