16 अउर ऊँ अपने दहिने हाँथ माहीं सातठे तरइया लए रहे हँय, अउर उनखे मुँहे से दुइ धार बाली चोंख तलबार निकरत रही हय; अउर उनखर मुँह अइसन चमकत रहा हय, जइसन सुरिज तेज घाम के समय चमकत हय।
तब हे राजा, गइल माहीं दुपहर के समय हम अकास से सुरिज के उँजिआर से घलाय बढ़िके, एकठे जोति अपने अउर अपने साथ माहीं चलँइ बाले साथिन के चारिव कइती चमकत देखेन।
ओखे बाद स्वरग माहीं एकठे बड़ा चिन्ह देखाई दिहिस, अरथात एकठे मेहेरिआ, जउन सुरिज ओढ़े रही हय, अउर जोंधइआ ओखे गोड़े के नीचे रही हय, अउर ओखे मूँड़े माहीं बारा तरइअन के मुकुट रहा हय।
अउर जाति-जाति काहीं मारँइ के खातिर उनखे मुँहे से एकठे चोंख तलबार निकरत ही, ऊँ लोहे के राजदन्ड लए, उनखे ऊपर राज करिहँय, अउर ऊँ सर्बसक्तिमान परमातिमा के, भयानक कोप के जलजलाहट के मदिरा के कुन्ड माहीं अंगूर रउँदिहँय।
इफिसुस के मसीही मन्डली के दूत काहीं इआ लिखा, कि “जउन सातँव तरइया अपने दहिने हाँथ माहीं लए हें, अउर सोने के सातँव दीबटन के बीच माहीं चलत फिरत हें, ऊँ इआ कहत हें, कि