जब उहाँ के रहँइ बाले साँप काहीं पवलुस के हाँथे माहीं लपिटे देखिन, त आपस माहीं कहँइ लागें; “सही माहीं इआ मनई कतली हय, काहेकि इआ समुद्र से त बचिगा, तऊ न्याय एही जिन्दा नहीं रहँइ दिहिस।”
तब ऊँ पंचे उनहीं अउर डेरबाय धमकायके छोंड़ दिहिन, काहेकि खुब मनइन के कारन उनहीं सजा देंइ के मोका नहीं मिला, एसे कि जउन घटना भे रही हय, ओखे कारन सगले मनई परमातिमा के बड़ाई करत रहे हँय।
अउर जउन प्रेम परमातिमा हमसे पंचन से किहिन हीं, ओही हम पंचे जान गएन हय, अउर हमहीं पंचन काहीं बिसुआस हय, कि परमातिमा प्रेम आहीं। जउन मनई प्रेम माहीं बना रहत हय, उआ परमातिमा माहीं बना रहत हय; अउर परमातिमा ओखे जीबन माहीं बने रहत हें।
जउन प्रेम परमातिमा हमसे पंचन से करत हें, इआमेर से देखाइन हीं, कि ऊँ अपने एकलउता लड़िका काहीं इआ संसार माहीं पठइन हीं, कि जउने हम पंचे उनखे द्वारा अनन्त जीबन पाई।