हम अपना के बचन काहीं उनहीं बताय दिहेन हय, अउर ऊँ पंचे अपना के बचन काहीं अपनाय लिहिन हीं, एसे संसार के मनई उनसे दुसमनी करत हें, काहेकि जइसन हम इआ संसार के न होंहेन, उहयमेर ऊँ पंचे इआ संसार के न होहीं।
अउर उनहीं सजा देंइ के कारन इआ हय, कि परमातिमा के लड़िका जोति के रूप माहीं संसार माहीं आएँ हँय, अउर संसार के मनई पाप रूपी अँधिआर काहीं, जोति से जादा पियार जानिन, काहेकि उनखर काम बुरे रहे हँय।
हे ब्यभिचार करँइ बालिव! काहे तूँ पंचे नहीं जनते आह्या, कि संसार से दोस्ती करब, परमातिमा से दुसमनी करब आय? एसे जे कोऊ संसार के दोस्त होंइ चाहत हय, उआ अपने-आप काहीं परमातिमा के बइरी बनाबत हय।