3 अउर जइसन परमातिमा के पबित्र मनइन काहीं उचित हय, उनहिन कि नाईं तोंहरे बीच माहीं ब्यभिचार के बारे माहीं, अउर कउनव मेर के असुद्ध कामन के बारे माहीं, इआ कि लालच के बारे माहीं चरचव तक न होंइ चाही।
काहेकि घिनहे बिचार करब, कतल करब, दुसरे के मेहेरिआ से नजायज सम्बन्ध रक्खब, ब्यभिचार करब, चोरी करब, लबरी गबाही देब, अउर दुसरे के बुराई करब, ईं सगली बातँय करँइ के बिचार मनय से निकरत हय।
अउर यीसु अपने चेलन से कहिन, “तूँ पंचे सतरक रहा, अउर हरेक मेर के लोभ से अपने काहीं बचाइके रखा; काहेकि कोहू के जीबन ओखे खुब धन-सम्पत्ती के कारन नहीं बचय।”
काहेकि ऊँ प्रभू के ऊपर बिसुआस करँइ बाली बहिनी आहीं, एसे उनहीं प्रभू के दासी समझिके तूँ पंचे सोइकार करा; अउर अगर उनहीं कउनव चीज के तोंहसे पंचन से जरूरत परय, त उनखर मदत करा; काहेकि ऊँ खुब मनइन के मदत किहिन हीं, इहाँ तक कि हमार घलाय मदत किहिन रहा हय।
अउर अपने देंह के अंगन काहीं, अधरम के सेबा के खातिर अरथात बुरे कामन काहीं करँइ के खातिर पाप काहीं न सउँपा, बलकिन अपने-आप काहीं मरेन म से जिन्दा होइ जाँइ बाला समझिके परमातिमा काहीं सउँपि द्या, अउर अपने देंह के अंगन काहीं धारमिकता के कामन काहीं करँइ के साधन के रूप माहीं परमातिमा काहीं सउँपि द्या।
हम पंचे इहाँ तक सुने हएन, कि तोंहरे बीच माहीं ब्यभिचार होत हय, अउर अइसन ब्यभिचार होत हय, कि उआमेर से अबिसुआसी लोगन के बीच माहीं घलाय नहीं होय, काहेकि कोऊ-कोऊ अइसन हें, कि ऊँ अपने मइभा महतारी के साथ ब्यभिचार करत हें,
अउर तूँ पंचे इआ कहते हया, कि “खाना पेट के खातिर आय, अउर पेट खाना के खातिर आय” पय परमातिमा खाना अउर पेट दोनव काहीं नास कइ देइहँय। अउर हमार पंचन के देंह ब्यभिचार करँइ के खातिर नहीं, प्रभू के महिमा के खातिर बनाई गे ही, अउर प्रभू हमरे देंह के भलाई के खातिर हें।
पय तूँ पंचे ब्यभिचार करँइ से बचे रहा। काहेकि एखे अलाबा जेतने अउर पाप मनई करत हय, त देंह के बहिरे करत हय, पय ब्यभिचार करँइ बाला मनई अपने देंह के बिरोध माहीं पाप करत हय।
अउर हमहीं इहव बात के डेर हय, कि जब हम तोंहसे मिलँइ के खातिर अई। त तोंहरेन आँगे, हमार परमातिमा हमहीं लज्जित न करँइ; अउर हमहीं उनखे खातिर दुखी होंय परय, जउन पहिले पाप किहिन तय, अउर घिनहे-घिनहे काम किहिन तय, अउर ब्यभिचार किहिन तय, अउर भोग-बिलास के काम किहिन तय, पय उनखे खातिर पस्चाताप नहीं किहिन आय।
काहेकि तूँ पंचे खुदय इआ जनते हया, कि ब्यभिचार करँइ बाला, इआ कि असुद्ध मनई, इआ कि लालच करँइ बाला मनई, (काहेकि लालच करब मूरत के पूजा करँइ के बराबर हय) इआ मेर के मनई मसीह अउर परमातिमा के राज के कबहूँ बारिसदार न बनिहँय।
अउर हम तोंहरे लघे अई, चाह न अई, तूँ पंचे केबल एतना करा, कि तोंहार चाल-चलन मसीह के खुसी के खबर के काबिल होय, अउर हम तोंहरे पंचन के बारे माहीं इहय सुनी, कि तूँ पंचे एक मन होइके, खुसी के खबर के ऊपर बिसुआस काहीं मजबूत करँइ के खातिर मेहनत करत रहते हया।
काहेकि रुपिआ-पइसा के लालच सगली बुराई के जर आय, एही पामँइ के कोसिस करत-करत पता नहीं, केतने मनई यीसु मसीह के ऊपर बिसुआस करब छोंड़िके, खुद काहीं अनेकव प्रकार के दुखन से बरबाध कइ लिहिन हीं।
काहेकि मनई स्वार्थी, जादा धन कमाय के लालची, खुद के कामन के बड़ाई करँइ बाले, खुद काहीं दुसरे से बड़ा मानँइ बाले, दुसरे के बुराई करँइ बाले, महतारी-बाप के कहा-बतान न मानँइ बाले, जउन उनखर मदत करी, ओखर उपकार न मानँइ बाले, बुरे काम कइके परमातिमा के ऊपर बिसुआस न करँइ बाले,
इआमेर के मनइन काहीं गलत साबित कइके उनखर मुँह बंद करँइ चाही, काहेकि ईं लोग जादा पइसा कमाँय के खातिर, लोगन काहीं गलत सिच्छा दइके, पूरे घर के लोगन काहीं बिगाड़ देत हें।
मसीही मन्डली के अध्यच्छ काहीं, जेही परमातिमा मसीही मन्डली के लोगन के देख-रेख करँइ के काम सउँपिन हीं, एसे उनहीं बेकसूर होंइ क चाही; अउर ऊँ अड्डी न होंय, अउर न गुस्सइल होंय, अउर न झगड़लुअय होंय, अउर न दारुअय पिअँइ बाले होंय, अउर गलत काम कइके पइसा कमाँय बाले न होंय।
इहइमेर बुढ़ान मेहेरिअन काहीं सिखाबा, कि उनखर चाल-चलन पबित्र चाल चलँइ बाले मनइन कि नाईं होय; ऊँ दुसरेन के ऊपर दोस लगामँइ बाली न होंय, अउर दारू पिअँइ बाली न बनँय, बलकिन निकही बात सिखामँइ बाली बनँय।
अउर इहव बात के ध्यान रक्खा, कि तोंहरे पंचन के बीच म से कोऊ ब्यभिचार न करय, अउर न एसाव कि नाईं अधरमी बनय, जउन एक बेरकी के खाना के खातिर, आपन पहिलउठा होंइ के अधिकार बेंच डारिस तय।
कि परमातिमा के उआ झुन्ड के रखबारी करा, जउन तोंहईं पंचन काहीं सउँपा ग हय, अउर इआ काम कउनव दबाव से नहीं, बलकिन परमातिमा के मरजी के मुताबिक, बड़े खुसी के साथ पूरे मन से किहा। अउर इआ काम नीच कमाई के खातिर न किहा।
खास करके उनहीं जउन असुद्ध अभिलासन के पीछे, अउर अपने मन के बुरी इच्छन के मुताबिक चलत हें, अउर प्रभू के अधिकार काहीं तुच्छ जानत हें, ऊँ पंचे एतने घमन्डी हँय, कि महिमामय स्वरगदूतन के अपमान करँइ से घलाय नहीं डेराँय।
अउर ऊँ पंचे लालच के कारन, अपने बनावटी बातन से तोंहसे पंचन से धन कमँइ हँय, उनखे इआ काम के सजा परमातिमा के द्वारा पहिलेन से निस्चित कीन जाय चुकी हय। अउर उनखर बिनास तइआर हय, अउर उनखर इन्तजार कइ रहा हय।