जब तूँ अपने बिरोधी के साथ राजपाल के लघे जाते हया, त गइलय माहीं ओसे समझउता कइल्या, अइसा न होय, कि उआ बिरोधी तोंहईं राजपाल के लघे लइ जाय, अउर राजपाल तोंहईं सिपाही के हाँथ माहीं सउँपि देय, अउर सिपाही लइ जाइके जेल माहीं डार देय।
जब हम तोंहरे लघे अरतिमास इआ कि तुखिकुस काहीं पठउब, तब तूँ हमरे लघे निकुपुलिस सहर माहीं आमँइ के कोसिस किहा, काहेकि हम उहँय पूरे जाड़े के सीजन माहीं रहँइ के निरनय किहेन हँय।