जब तूँ अपने बिरोधी के साथ राजपाल के लघे जाते हया, त गइलय माहीं ओसे समझउता कइल्या, अइसा न होय, कि उआ बिरोधी तोंहईं राजपाल के लघे लइ जाय, अउर राजपाल तोंहईं सिपाही के हाँथ माहीं सउँपि देय, अउर सिपाही लइ जाइके जेल माहीं डार देय।
जउन कोट हम त्रोआस सहर माहीं करपुस के इहाँ छोंड़ि आएन हय, जब तूँ अया, त ओही अउर किताबन काहीं खास करके चर्म-पत्रन (खास करके गाड़र के चमड़ा से बनी किताबन) काहीं लेत अया।
जब हम तोंहरे लघे अरतिमास इआ कि तुखिकुस काहीं पठउब, तब तूँ हमरे लघे निकुपुलिस सहर माहीं आमँइ के कोसिस किहा, काहेकि हम उहँय पूरे जाड़े के सीजन माहीं रहँइ के निरनय किहेन हँय।