13 जउन कोट हम त्रोआस सहर माहीं करपुस के इहाँ छोंड़ि आएन हय, जब तूँ अया, त ओही अउर किताबन काहीं खास करके चर्म-पत्रन (खास करके गाड़र के चमड़ा से बनी किताबन) काहीं लेत अया।
काहेकि ऊँ पंचे इआ बात से दुखी रहे हँय, जउन पवलुस उनसे कहिन तय, कि “अपना पंचे हमार मुँह पुनि कबहूँ न देखे पाउब”; अउर ऊँ पंचे उनहीं जिहाज के लघे तक पहुँचाइन।