7 ऊँ हमेसा सिखत त रहती हईं, पय परमातिमा के सत्य सिच्छा के ग्यान काहीं नहीं जाने पउतीं।
तब यीसु उनहीं जबाब दिहिन, कि “परमातिमा के राज के जउने बातन काहीं दूसर लोग नहीं जानँय, ऊँ बातन काहीं परमातिमा तोहईं समझाइन हीं, पय उनहीं नहीं।”
तूँ पंचे हमरे ऊपर बिसुआस कइसन कइ सकते हया, काहेकि तूँ पंचे त आपस माहीं एक दुसरे से मान-सम्मान चहते हया, अउर उआ मान-सम्मान पामँइ के कोसिस नहीं करते आह्या, जउन एकलउते परमातिमा के तरफ से मिलत हय।
जउने हम पंचे चुने बुदे लड़िका कि नाईं न रही, जउन ठग बिद्या अउर चतुराई के बातन माहीं, अउर दुसरेन के भ्रम माहीं डारँइ बाली बातन माहीं, अउर गलत उपदेसन माहीं परि जात हें, अउर जउनी कइती नहीं जाँय चाहँय ओहिन कइती भटक जात हें।
अउर परमातिमा इआ चाहत हें, कि सगले मनई मुक्ती पामँय; अउर ऊँ सत्य काहीं निकहा से जान लेंय
अउर उआ अपने बिरोधिन काहीं नम्रता से समझाबय, का पता परमातिमा उनहीं मुक्ती पामँइ के मन देंइ, अउर ऊँ सत्य काहीं पहिचान लेंइ।
एखे बारे माहीं हमहीं पंचन काहीं, तोंहईं खुब बातँय बतामँइ काहीं हय, पय उनहीं समझाउब बड़ा मुसकिल हय। काहेकि तोंहार पंचन के सोचँय-समझँय के सक्ती कम ही।