4 जब कउनव सिपाही लड़ाई माहीं जात हय, त उआ इआ कोसिस करत हय, कि अपने अधिकारी काहीं खुस करय, अउर खुद काहीं लड़ाई के काम के अलाबा, संसार के दुसरे कामन माहीं मन नहीं लगाबय।
जउन बीज जरबइला माहीं गिरें, ऊँ ईं आहीं, जउन परमातिमा के बचन काहीं सुनिन, अउर आँगे चलिके घर-परिबार के चिन्ता, अउर धन के लालच, अउर जीबन के सुख-बिलास माहीं फँसिके परमातिमा के बचन काहीं बिसराय देत हें, अउर परमातिमा के आसीस नहीं पामँय। अउर बिना फर के बिरबा कि नाईं होइ जात हें।
एसे कि जब ऊँ पंचे हमरे पंचन के प्रभू अउर मुक्ती देंइ बाले, यीसु मसीह के ऊपर बिसुआस किहे के द्वारा संसार के अनेकव प्रकार के बुराइन से बच निकरें तय, अउर पुनि ओहिन माहीं फँसिके हार गे हँय, त उनखर दसा पहिले से अउर जादा खराब होइगे ही।