20 कउनव बेउहर के घर माहीं, केबल सोन-चाँदिन भर के नहीं, बलकिन लकड़ी अउर माटिव के बरतन घलाय होत हें; पय कुछ बरतन निकहे कामन माहीं, अउर कुछ साधारन कामन माहीं उपयोग कीन जात हें।
अउर हे भाई, तूँ को आह्या? तूँ त केबल मनई आह्या, जउन परमातिमा काहीं उल्टहाव देते हया? त इआ बताबा, कि का कउनव बनी चीज अपने बनामँइ बाले से कहि सकत ही, कि तूँ हमही अइसा काहे बनए हया?
काहेकि परमातिमा अपने असीमित सामर्थ काहीं, हमरे पंचन के देंह के अंदर रक्खिन हीं, जउन टूटँइ बाले माटी के बरतनन कि नाईं हईं, कि जउने इआ साबित होइ जाय, कि इआ सामर्थ हमार पंचन के न होय, बलकिन परमातिमय के आय।
कि अगर हमरे आमँइ माहीं समय लग जाय, त तूँ जान लिहा, कि परमातिमा के घराना माहीं, जउन जिन्दा परमातिमा के मसीही मन्डली आय, अउर मसीही मन्डलिन, सत्य के नेव अउर खम्भा आय, ओमाहीं मनइन के आचरन कइसन होंइ चाही, इआ जानिल्या।
अउर तुहूँ पंचे खुदय जिअत पथरा कि नाईं, आत्मिक घर बनाए जाय रहे हया, जउने याजकन के पबित्र समाज बनिके, अइसन आत्मिक बलिदान चढ़ाबा, जउन यीसु मसीह के द्वारा परमातिमा काहीं सोइकार होय।