अउर तूँ पंचे, जउन घमन्ड से फूले हया, त इआ उचित न होय; का तूँ पंचे इआ नहीं जनते आह्या, कि पिसान माहीं थोरी क खमीर मिलाए से, सगला माड़ा पिसान खमीर कि नाईं आमिल होइ जात हय।
इआ जानिके कि परमातिमा के दीन मूसा के बिधान के नेम सही काम करँइ बालेन काहीं सुधारँय के खातिर नहीं, बलकिन अधरमिन, बिद्रोहिन, अउर जउन परमातिमा के अराधना नहीं करँय, पापिन, अउर जउन पबित्र जीबन नहीं जिअँइ, असुद्ध मनइन, अउर महतारी-बाप के कतल करँइ बाले, कतलिन,
पय तूँ बुढ़ान मनइन के व्दारा सुनाई जाँय बाली उन मनगढ़ंत किस्सा-कहानिन से दूरी रहा, जिनखर परमातिमा के बचन से कउनव लेन-देन नहिं आय, अउर परमातिमा के सत्य सिच्छा मनइन काहीं सिखामँइ माहीं लगे रहा।
एसे अगर कउनव मनई खुद काहीं बुराइन से सुद्ध करी, त उआ निकहे कामन माहीं काम आमँइ बाले बरतन कि नाईं पबित्र ठहरी, अउर अपने मालिक के काम अई, अउर हरेक निकहे कामन के खातिर तइआर रही।
इआमेर के मनइन काहीं गलत साबित कइके उनखर मुँह बंद करँइ चाही, काहेकि ईं लोग जादा पइसा कमाँय के खातिर, लोगन काहीं गलत सिच्छा दइके, पूरे घर के लोगन काहीं बिगाड़ देत हें।
पय मूर्खता के जउने बातन से बिबाद होत हें, अउर बंसाबलिअन के बिबाद से, अउर मूसा के बिधान के बातन से सम्बन्धित बिबादन से बँचे रहा, काहेकि ईं सगली बातन से कउनव फायदा नहीं होय, बलकिन नुकसानय होत हय।
अउर तूँ पंचे इआ बात के ध्यान रक्खा, कि कउनव मनई परमातिमा के किरपा से बंचित न रहि जाय, अउर इहव बात के ध्यान रक्खा, कि तोंहरे पंचन के बीच माहीं अइसन कउनव झगड़ा के जड़ न फूट निकरय, कि तोंहऊँ पंचन काहीं कस्ट होय, अउर खुब मनई बिसुआस से भटक जाँय।
अउर ऊँ पंचे बेकार के घमन्ड बाली बातँय कइके, अउर अपने लुचपन के कामन के द्वारा, उनहीं अपने मन के बुरी इच्छन माहीं फसाय लेत हें, जउन भटकेन म से अबहिनय बिसुआस माहीं लउटि रहे हँय।
ऊँ चमत्कार के कामन के कारन, जिनहीं पहिल खतरनाक जानबर के आँगे देखामँइ के अधिकार ओही दीन ग रहा हय; उआ धरती के रहँइ बालेन काहीं, इआमेर भरमाबत रहा हय, अउर उनसे इआ कहत रहा हय, कि जउने खतरनाक जानबर के तलबार लगी रही हय, उआ जिन्दा होइगा हय, ओखर मूरत बनाबा।
अउर हम ओखे मूँड़ेन म से, एकठे के ऊपर अइसन भयानक घाव लगा देखेन, त अइसन लागत रहा हय, कि उआ मरइन बाला हय; ओखे बाद ओखर जानलेबा घाव निकहा होइगा, अउर सगले धरती के मनई उआ खतरनाक जानबर के पीछे-पीछे अचरज मानत चलें।