अउर तूँ पंचे कउनव अइसन परिच्छा माहीं नहीं परे आह्या, जउन कि मनई के सहँइ के सक्ती से जादा होत ही, काहेकि परमातिमा सच्चे हें, अउर ऊँ तोहईं पंचन काहीं सहँइ के सक्ती से जादा परिच्छा माहीं न परय देइहँय, पय अगर परिच्छा माहीं परिव जाते हया, त ओसे निकरँइ के घलाय उपाय करिहँय, जउने तूँ पंचे ओही सहि सका।
इआमेर से प्रभू, अपने भक्तन काहीं परिच्छा म से निकारब, अउर अपने हुकुम न मानँइ बालेन काहीं, अपने न्याय करँइ के दिन तक, सजा के दसा माहीं रक्खब घलाय जानत हें।