अउर ओखे बाद करीब पाँच बजे ऊँ पुनि निकरें अउर बजार माहीं अउरव मनइन काहीं इहाँ-उहाँ ठाढ़ पाइन, तब उनसे कहिन, कि ‘तूँ पंचे काहे दिन भर इहाँ बेफालतू माहीं ठाढ़ रहि गया?’ तब ऊँ पंचे उनसे कहिन, कि ‘हम पंचे एसे ठाढ़ रहि गएन, कि हमहीं पंचन काहीं कोऊ काम माहीं नहीं लगाइस।’
पय मालिक उआ दास काहीं जबाब दिहिन, कि ‘हे दुस्ट अउर आलसी दास, जब तँय इआ जानत रहे हए, कि हम जहाँ बीज नहीं बोई उहाँ से काटित हएन, अउर जहाँ नहीं छीटी उहँव से बटोरित हएन;
एसे हे हमार पियार भाई-बहिनिव, तूँ पंचे बिसुआस माहीं मजबूत होइके, प्रभू माहीं अटल रहा, अउर प्रभू के काम करँइ के खातिर, खुद काहीं पूरी तरह से समरपित कइ द्या, काहेकि तूँ पंचे इआ जनते हया, कि प्रभू के खातिर जउन मेहनत तूँ पंचे करते हया, उआ बेकार न होई।
अउर अपने-आप काहीं तूँ पंचे जाँचा-परखा, कि बिसुआस माहीं बने हया, कि नहीं, अउर इहव जाँच करा कि मसीह तोंहरे पंचन के जीबन माहीं हें, कि नहीं। नहीं त तूँ पंचे परमातिमा के नजर माहीं निकम्मा ठहरिहा।
हम इआ बात काहीं एसे बताइत हएन, कि जब उनखे जीबन माहीं दुख-मुसीबत के कारन बड़ी परिच्छा आईं तय। तऊ ऊँ पंचे खुसी रहे हँय, अउर उनखे ऊपर भारी गरीबी आय गे रही हय। तऊ उनखर दान देंइ के उदारता कम नहीं भय, बलकिन बढ़िनगे रही हय।
एसे जइसन तूँ पंचे हरेक बातन माहीं, अरथात बिसुआस माहीं, बात करँइ माहीं, ग्यान माहीं, अउर हरेकमेर के उपकार करँइ माहीं, अउर हमसे पंचन से प्रेम करँइ माहीं, बढ़त जाते हया। उहयमेर दान करँइ के काम माहीं घलाय बढ़त जा।
अउर मसीह के बचन काहीं जादा से जादा अपने हिरदँय माहीं बसाबा, जउने परमातिमा के ग्यान से भरपूर होइके एक दुसरे काहीं सिखाबा, अउर गलती करँइ त चेताबा, अउर परमातिमा के इआ किरपा के कारन उनखे खातिर अपने-अपने मनन माहीं भजन, स्तुति के गाना, अउर आत्मिक गाना गाबत रहा।
अउर प्रभू अइसन करँय, कि जइसन प्रेम हम पंचे तोंहसे रक्खित हएन; उहयमेर तोंहरव प्रेम आपस माहीं एक दुसरे के साथ, अउर सगले मनइन के साथ बढ़य, अउर मजबूत होत जाय।
हे भाई-बहिनिव, तोंहरे बारे माहीं हमहीं पंचन काहीं, हर समय परमातिमा काहीं धन्यबाद देत रहँइ चाही, अउर इआ उचितव हय, एसे कि तोंहार बिसुआस खुब बाढ़त जात हय, अउर तोंहार सगलेन के प्रेम घलाय आपस माहीं खुब बाढ़त जात हय।
एखे साथय-साथ ऊँ घरन-घरन बागत फिरती हईं, अउर काम धंधा करब छोंड़िके आलसी बन जाती हईं, अउर केबल आलसी भर नहीं, बलकिन बेफालतू के बात करत रहती हईं, अउर दुसरे के कामन माहीं टाँग अँड़उती हईं, अउर अनुचित बातँय बोलती हईं।
हे तीतुस, तूँ सगले मसीही भाइन काहीं सिखाबा, कि ऊँ निकहे काम करत रहँय, जउने एक दुसरे के जरूरत काहीं पूर कइ सकँय, अउर उनखे कामन के व्दारा दुसरे लोगन काहीं फायदा मिलय।
अउर हम पंचे इआ नहीं चाही, कि तूँ पंचे आलसी बना, बलकिन तूँ पंचे उनखे कि नाईं जीबन बिताबा, जउन बिसुआस अउर धीरज के द्वारा परमातिमा के वादन के बारिसदार बन जात हें।
एसे कि जब ऊँ पंचे हमरे पंचन के प्रभू अउर मुक्ती देंइ बाले, यीसु मसीह के ऊपर बिसुआस किहे के द्वारा संसार के अनेकव प्रकार के बुराइन से बच निकरें तय, अउर पुनि ओहिन माहीं फँसिके हार गे हँय, त उनखर दसा पहिले से अउर जादा खराब होइगे ही।