“देखा, हम चोर कि नाईं अइत हएन; धन्य हय उआ मनई जउन जागत रहत हय, अउर अपने ओन्हन के रखबारी करत हय, कि जउने नंगा न फिरय, अउर मनई ओखे नंगापन काहीं देखे न पामँय।”
एहिन से हम तोंहईं इआ सलाह देइत हएन, कि आगी माहीं तपाबा सोन हमसे मोल लइ ल्या, कि धनी होइजा; अउर उजर ओन्हा लइ ल्या, कि ओही पहिरिके तोंहईं अपने नंगापन के लज्जा न होय, अउर अपने आँखिन माहीं लगामँइ के खातिर सुरमा लइ ल्या, कि तूँ देखँइ लागा।