उहयमेर से तोंहार पंचन के निकहे काम उँजिआर कि नाईं मनइन के आँगे चमकँइ, जउने ऊँ पंचे तोंहरे निकहे कामन काहीं देखिके स्वरग माहीं रहँइ बाले तोंहरे पिता परमातिमा के बड़ाई करँय।”
तब ऊँ पंचे कहिन, “कुरनेलियुस सुबेदार जउन धरमी मनई हें, अउर परमातिमा के भय मानँइ बाले, अउर यहूदी जाति माहीं उनखर खुब सम्मान हय, ऊँ स्वरगदूत से इआ हुकुम पाइन हीं, कि अपना काहीं अपने घर माहीं बोलाइके अपना से बचन सुनँय।”
अउर याफा सहर माहीं एकठे तबीता नाम के बिसुआसिन रहत रही हय, जउन दोरकास नाम से घलाय जानी जात रही हय, उआ खुब निकहे-निकहे काम करत रही हय, अउर गरीबन काहीं दान देत रही हय।
अउर जउन काम परमातिमा के नजर माहीं निकहे हँय, उनहीं तूँ पंचे करत रहा, जउने परमातिमा के बड़ाई अउर अराधना होत रहय, काहेकि यीसु मसीह के द्वारा परमातिमा अपने नजर माहीं तोंहईं धरमी बनाइन हीं।
अउर मसीही मन्डली के अलाबव, गाँव समाज के मनइव ओखर मान-सम्मान करत होंय, अइसन न होय कि उआ निन्दित होइके, जइसा पंछी सिकारी के जाल माहीं फँसि जात हय, उहइमेर उहव सइतान के जाल माहीं फँसि जाय।
पुनि हम स्वरग से इआ बोल सुनेन, “लिखा, जउन मनई प्रभू के ऊपर बिसुआस कइके मरत हें, ऊँ पंचे अब से धन्य हें।” अउर पबित्र आत्मा कहत हें, “हाँ, अब से ऊँ पंचे अपने सगले मेहनत से अराम पइहँय, काहेकि उनखर काम उनखे साथ होइ लेत हें।”